About the Book
विगत दो दशक से जिस तरह से विज्ञापन जगत में नारी को दिखाने का चलन बढ़ा है उससे ये आवश्यक हो जाता है कि इस बात की पड़ताल की जाय। इस किताब के माध्यम से यह बताने की कोशिश कि है कि आखिर वो कौन से कारण है जो पापड़, लिपिस्टिक, शेविगं मशीन, गाड़ी, घर बैन्किगं सेवा से लेकर मनोरंजन सबमें नारी को ही दिखाया जाता है। इसके सामाजिक आर्थिक और व्यवाहारिक पहलुओं को सरलता से इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। हाला कि आज महिलायों हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही है Read More